मुंबई में पिछले दो दिनों से जो कुछ हो रहा है, चलाया जा रहा है एक खतरे की घंटी है। याद कैन लोक सभा चुनाव सर पर है और सारी राजनितिक पार्टियां पूरी तैयारी मनी है कि किस प्रकार दिल्ली का किला फतह हो। याद करे कारगिल कि घटना को जब राष्ट्रवाद का उबाल आया था या लाया गया था, वही सब कुछ बनने की khichadi दिल्ली के किचन दरबार में पक रही है
अंत केवल वअहि है कि कैसे ज़्यादा से ज़्यादा सीटों पर हमारा कब्ज़ा हो और बहुमत का जादुई आंकडा प्राप्त कर ले। सो रेस जारी है और हम आप सभी तैयार है। सूचना किसे है यह ना कोई बताने वाला है ना कोई सोचने वाला।
क्या कोई सांस्कृतिक इच्छाशक्ति भी नही है जो रचनात makta se is waqut hastakshap kare।
सवाल यह है कि इप्टा जैसे संगठन कहाँ है जो जन संस्कृति कि प्रmpara कोduhai detain hai.
अंत केवल वअहि है कि कैसे ज़्यादा से ज़्यादा सीटों पर हमारा कब्ज़ा हो और बहुमत का जादुई आंकडा प्राप्त कर ले। सो रेस जारी है और हम आप सभी तैयार है। सूचना किसे है यह ना कोई बताने वाला है ना कोई सोचने वाला।
क्या कोई सांस्कृतिक इच्छाशक्ति भी नही है जो रचनात makta se is waqut hastakshap kare।
सवाल यह है कि इप्टा जैसे संगठन कहाँ है जो जन संस्कृति कि प्रmpara कोduhai detain hai.
टिप्पणियाँ
समीर जी की इस टिपण्णी में मेरा सुर भी शामिल!!!!!!!
प्राइमरी का मास्टर