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संदेश

राजनेता, राजनीति और समाज सुधार

कल यानि 2 अक्टूबर 2017 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाल विवाह और दहेज़ के ख़िलाफ़ राज्यव्यापी अभियान की शुरुआत कर रहे हैं. कम से कम मेरी जानकारी में यह पहला राजनीतिक प्रयास है जब कोई सत्ता के शीर्ष पर बैठा कोई व्यक्ति बिना किसी योजना, कार्यक्रम के सामाजिक बदलाव के अभियान की शुरूआत कर रहा है. पिछले 10-12 वर्षों में बिहार में मुख्यमंत्री पद बैठे नीतीश कुमार के इस कदम के क्या मायने हैं इसे नजदीक से देखने और समझने की ज़रूरत है। 'बाल विवाह' और 'दहेज़' विरोधी अभियान के तहत बिहार सरकार के विभाग क्या कर रहे हैं।  नोडल विभाग समाज कल्याण विभाग महिला विकास निगम से नुक्कड़ नाटक करवा रहा है. पोस्टर, होर्डिंग्स, बैनर छपवा रहा है और यह सुनिश्चित करवा रहा है कि आम-ख़ास जगहों पर लगे. शिक्षा विभाग गाँधी जयंती के दिन स्कूल खुलवा कर बच्चों को शपथ दिलवा रहा है कि 18 से कम उम्र की लड़की और 21 से कम उम्र के लड़के की शादी बाल विवाह है और क़ानूनी रूप से अपराध है. दहेज़ ना लेना है, दहेज़ ना देना है और ना दहेज़ के लिए किसी को प्रोत्साहित करना है. मुख्यमन्त्री महोदय सार्वजनिक रूप से अपील ...

एक जनगीत का होना सौ बरस का

जनगीत वो होता है जो जन-जन की ज़ुबान पर बसा हो और इस नज़रिए से देखें तो अल्लामा इक़बाल का लिखा हुआ गीत 'सारे जहाँ से अच्छा...' सही मायनों में एक जनगीत है. तभी तो यह गीत पूरे सौ बरस का हो गया और अब भी यह लोगों की ज़बान पर बसा हुआ है. एक स्कूली बच्चे से लेकर एक फ़ौजी तक सभी को अपने देश की विशेषता बताने के लिए आज भी 21 अप्रैल 1904 को पहली बार गाया गया यह गीत याद आता है. तभी तो महात्मा गाँधी से लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक सभी 'सारे जहाँ से अच्छा...' गाते रहे हैं और जब अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखाई देता है तो उनका जवाब था, 'सारे जहाँ से अच्छा...' और हाल ही में मुज़फ़्फ़राबाद से श्रीनगर के बीच बस चली तो पूरे रास्ते भर पोस्टर लगे हुए थे, 'मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना...' और साथ में थी अल्लामा इक़बाल की तस्वीरें. दिल में बसा गीत हालाँकि इन बरसों में इस बात को लेकर बहुत बहस चली कि 'सारे जहाँ से अच्छा...' लिखने वाले अल्लामा इ...

इप्टा को जानें

भारतीय जन नाट्य संघ(इप्टा) का चौदहवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन इंदौर (मध्य प्रदेश) में होने जा रहा है. आइये जानते हैं इप्टा के बारे में कुछ रोचक जानकारी..... कुछ बस्तियां यहां थीं बताओ ...

इंकलाब

मुठ्ठियाँ तनी हैं, हाथ भी उठे हैं नज़रें हैं सीधी, होंठ खुल रहे हैं बोलो बोलो इंक़लाब, इंक़लाब ज़िंदाबाद बोलो खेत किसके हो? जोते, बोये उसकी हो। फसल पर हक़ किसका हो? ख़ून, पसीना जिसका ह...

ईद की मुबारक़बाद

आज कार्यालय समाप्त होने के समय वरीय सहकर्मियों ने राय कि कल ईद है। चलना है ना 'J' भाई के घर। सब ने एक दूसरे के चेहरे देखे और ज़ुबान बोल उठी- हाँ, हाँ। क्यों नहीं। कितने बजे? तभी एक आव...

ईद की मुबारक़बाद

आज कार्यालय समाप्त होने के समय वरीय सहकर्मियों ने राय कि कल ईद है। चलना है ना 'J' भाई के घर। सब ने एक दूसरे के चेहरे देखे और ज़ुबान बोल उठी- हाँ, हाँ। क्यों नहीं। कितने बजे? तभी एक आव...

इप्टा @ 73

आने वाली 25 मई को इप्टा 73 साल का हो जाएगा। 1943 में मुम्बई ने देश की सांस्कृतिक तक़दीर लिखी और गाना, बजाना, नाचना और नाटक करना एक सामजिक दायित्व बना दिया। मनोरंजन के आगे फनकारी से भी क...