इप्टा की पटना सिटी यूनिट का सालाना कांफ्रेंस सन्डे को ख़तम हुआ। सन्डे की सुबह को डेलिगेट सेशन था और सेशन में इप्टा के संरक्षक प्रो. विनय कुमार कंठ और इस्लाम के एक धरम गुरु सय्यद शाह शमीम मोनामी आमंत्रित थे। कंठ साहेब ने इप्टा आन्दोलन को आगे बढ़ने के लिए एक सूत्री एजेंडा पेश किया और कहा की युवायों को आगे आना होगा। इप्टा के किसी जलसे में पहली बार एक धर्म गुरु आमंत्री था। यह न सिर्फ़ इप्टा के मेम्बेरानो बल्कि आस पास के लोंगो के लिए भी आश्चर्य के मुद्दा था। सवाल सिर्फ़ एक के इप्टा के मंच से एक धर्म गुरु क्या बात करेगा? क्या समूच इप्टा अपनी राह भटक चुकी है जो एक मुल्ला को सालाना जलसे में बुला लिया।
जिअसे ही धर्म गुरु ने ने माइक संभाला खुसर-फुसर शुरू होने लगी। पर मौलाना बड़े चतुर थे। आते ही बिस्मिल्लग-ऐ-रहमान, रहीम के उद्घोष से अपनी बात शुरू की और कुरान की एक आयत को दुहराया। मनो इप्टा के मेम्बेरानो की घिघी ही बाँध गई हो। खैर मौलाना ने जब आगे बात शुरू की को तेज़ चलती सांसे थम सी गई और नया जोश मिलने लगा। मौलाना ने कहा के यह महत्वपूर्ण नही की कौन बोल रहा है बलके यह महत्वपूर्ण है वोह क्या बोल रहा है। इप्टा के लोग बोले या कोई धर्म गुरु, बात सिर्फ़ इतनी के कौन इन्सान के पक्ष को आगे लाने का जेहाद चला रहा है। इप्टा का हथियार संगीत-गीत और ड्रामे हैं और हमारी ताकुँत हम्मारी जुबान। जो धर्म इन्स्सन को इंसान ना समझे और इंसानी हाकून का हनन करे वोह धर्म नही बल्कि अल्लाह की नाफरमानी है.
जिअसे ही धर्म गुरु ने ने माइक संभाला खुसर-फुसर शुरू होने लगी। पर मौलाना बड़े चतुर थे। आते ही बिस्मिल्लग-ऐ-रहमान, रहीम के उद्घोष से अपनी बात शुरू की और कुरान की एक आयत को दुहराया। मनो इप्टा के मेम्बेरानो की घिघी ही बाँध गई हो। खैर मौलाना ने जब आगे बात शुरू की को तेज़ चलती सांसे थम सी गई और नया जोश मिलने लगा। मौलाना ने कहा के यह महत्वपूर्ण नही की कौन बोल रहा है बलके यह महत्वपूर्ण है वोह क्या बोल रहा है। इप्टा के लोग बोले या कोई धर्म गुरु, बात सिर्फ़ इतनी के कौन इन्सान के पक्ष को आगे लाने का जेहाद चला रहा है। इप्टा का हथियार संगीत-गीत और ड्रामे हैं और हमारी ताकुँत हम्मारी जुबान। जो धर्म इन्स्सन को इंसान ना समझे और इंसानी हाकून का हनन करे वोह धर्म नही बल्कि अल्लाह की नाफरमानी है.
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