'वामपंथ इस दुनिया को हमेशा यह सीख देता है कि अगर हम बिना डरे, उत्साह के साथ अपनी गरिमा और सम्मान के लिए कर्म करते रहे तो दुनिया की सांस्कृतिक और मानवीय जरूरतों को पूरा करते रहेंगे।'
'हमें बिना रुके लगातार लड़ना और संघर्ष करना है।' संघर्ष उन ताक़तों के ख़िलाफ़ जो शोषण और उत्पीड़न की संस्कृति में विश्वास करते हैं। संघर्ष मुक्तिकामी समाज की स्थापना के लिए। जनता की अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में वामपंथ सदा से रहा है और आम जन के बीच रहेगा। युवा, बुजुर्ग और बच्चे सदैव ही प्रगतिगामी और मुक्तिकामी समाज के आंदोलन के साथी रहेंगे।
क्रांति और समाजवाद के झंडे को बगैर किसी दुख या निराशावाद के अपने युवा आधार स्तंभों के हवाले करेगी।'
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