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महादलित का मायाजाल

विश्वविभूति बाबा साहेब डाँ. भीम राव अम्बेडकर ने भारत की ब्राह्मणी व्यवस्था के शिकार भारतीय समाज की 10743 जातियों को अनुसूचित जाति,अनुसूचित जन जाति,अन्य पिछडी जातियाँ और सवर्ण जातियों में वर्गीकृत किया.यह बात मनुवाद में विश्वास करने वालों को रास नहीं आया और वे सतत प्रयास करते रहे हैं कि इन वर्गों को तोड कर पुनः छोटी-छोटी जातियों में विभक्त कर दिया जाय.सबसे पहले उन्होंने पिछडी जातियों को अतिपिछडी जाति में तोडा और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह के इसारे पर बिहार के मुख्य मंत्री श्री नीतिश कुमार ने बिहार की 23 में से 21 जातियों को महादलित और 2 जातियों चमार और दुसाध को दलित के रूप में घोषित किया है.यह एक प्रकार से अनुसूचित जाति की वजाय दलित और महादलित को स्थापित करने की कुत्सित मानसिकता को उजागर करता है.वास्तव में ब्राह्मणवाद को तभी तक फायदा मिलेगा जब तक भारतीय समाज छोटी –छोटी जातियों में बँटा रहेगा.भारतीय संविधान इन जातियों को तोड कर वर्गों में एकीकृत करने का काम किया है.अतः भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा संविधान की समीक्षा की वकालत की गई तथा नागपुर में नये संविधान का ल